भाग्य बदलना है
केवल 10 मिनट खुद को दीजिये :जीवन बदल जायेगा
भाग्य बदलना तो बिरले द्वारा ही सम्भव है जब व्यक्ति में यह क्षमता आ जाए की वह प्रकृति को भी प्रभावित कर सके किन्तु भाग्य में इतना परिवर्तन की भाग्य का लिखा पूरा मिल सके थोड़े से प्रयास से सम्भव है और वह भी बिन किसी पूजा -पाठ के |यद्यपि ऐसा कम ही होता है की व्यक्ति पर किसी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव न हो किन्तु यदि व्यक्ति पर और उसके घर पर नकारात्मक ऊर्जा अथवा शक्तियों का प्रभाव न हो तो उसके भाग्य का पूरा फल प्राप्त किया जा सकता है खुद को प्रकृति के अनुकूल बनाकर |अक्सर व्यक्ति भौतिक दुन्याँ में जीते हुए अपनी मूल प्रकृति से दूर हो जाता है और उस पर वातावरण ,घर -परिवार के लोगों और मिलने -जुलने वालों का प्रभाव आ जाता है |जीवन के मिले सलाह उसे उसके मूल विचार से अलग कर देते हैं जिससे उसका अवचेतन दब जाता है |अवचेतन की सक्रियता कम हो जाती है और ऐसे ऐसे विचार ,सोच वहां भर जाते हैं जो व्यक्ति को मूल स्वरुप से अलग लेकर चले जाते हैं तथा व्यक्ति स्वाभाविक उन्नति नहीं कर पाता |वह अवसरों का लाभ उतना भी नहीं ले पाता जितनी उसकी क्षमता है |वह ऐसी कमियों से घिर जाता है जो उसकी स्वाभाविक प्रकृति नहीं होती |वह ऐसी गलतियाँ करता है जो वह करना नहीं चाहता |इन सब को थोड़े से प्रयास से सुधारा जा सकता है |बिन किसी पूजा -पाठ के अपने भाग्य का अधिकतम पाया जा सकता है |खुद को श्रेष्ठ और उच्च स्तर का व्यक्ति बनाया जा सकता है |
अपने दिनभर के २४ घंटे के समय में से केवल १० मिनट अगर हम एकाग्र होकर खुद को दे दें तो हमारा जीवन बदल सकता है |सकारात्मकता का ऐसा संचार हो सकता है सोच-कर्म-ले सब कुछ बदलने लगता है |इस छोटे और मामूली प्रयोग से सर्वाधिक लाभ विद्यार्थियों ,कर्मचारियों, व्यवसाइयों ,प्रतियोगी परीक्षा देने वालों ,महिलाओं ,दुर्व्यसनो में लिप्त लोगों ,दुर्व्यवहार गलती से करने वालों को होता है |लाभ सभी को होता है और परिवर्तन सभी के जीवन में निश्चित रूप से आता है |
इस प्रयोग के लिए किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं है |किसी पूजा-पाठ-अनुष्ठान की जरुरत नहीं है ,कहीं कोई पैसा खर्च करने या मूल्य चुकाने की जरुरत नहीं है |यहाँ तक की दिन के कार्य अवधि और व्यस्तता के एक मिनट भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं है |बिना समय खर्च किये ,बिना पूजा -पाठ -अनुष्ठान किये ,बिना एक भी पैसा खर्च किये यह प्रयोग आपका जीवन बदलकर रख देता है |आपके परिवार और घर का माहौल बदल देता है |आपको और सबको उन्नति के ऐसे पथ की और अग्रसर करता है की कभी अवनति नहीं होती ,असफलता नहीं मिलती ,ठहराव नहीं आता ,परिस्थितियों पर पूर्ण नियंत्रण हो जाता है ,क्षेत्र आपका चाहे कोई भी हो |
इस मामूली परन्तु जीवन परिवर्तित कर देने वाले प्रयोग में समय मात्र १० मिनट ही देना है |देखने में मामूली सा प्रयोग है ,जिसके बारे में जानकार आप कह उठेंगे अरे यह तो हमें पता ही है |किन्तु फिर भी आपने इसे समयबद्ध होकर कभी किया नहीं है |मजाक समझते रहे |किन्तु आपका जाना हुआ ही यह प्रयोग वह कर सकता है जो कोई पंडित ,ज्योतिषी ,तांत्रिक ,योगी ,सन्यासी ,सिद्ध ,मंदिर ,मस्जिद पूजा-अनुष्ठान नहीं कर सकता |यह आपका अपना आत्मनिरीक्षण है |यह आपके अन्दर स्थित ईश्वर की आवाज है ,जिसे आप सुनना नहीं चाहते दिल -भावनाओं -व्यसनों के वशीभूत होकर |यह ईश्वरीय ऊर्जा से उत्पन्न तरंगों से बने हुए मानसिक विचारों की आवाज है |यह आपके अंतर्मन की आवाज है |आपके अंतर्मन और मष्तिष्क का विश्लेषण है |क्योकि यह ईश्वरीय विश्लेषण है इसलिए कभी गलत हो ही नहीं सकता |इसकी सलाह मान लें तो आप पुरुष से महापुरुष हो सकते हैं |यह आपकी खुद की बुद्धि की आवाज है |इसे अंतर्मन के ईश्वर से मिलाकर केवल आपको सुनना है बस ,सब कुछ खुद ब खुद होने लगेगा |आपको करना भी कुछ नहीं है |केवल एक निश्चय करना है की आप अपने अन्दर स्थित ईश्वर की सलाह मानेंगे बस |
हर व्यक्ति की ऊर्जा संरचना और मानसिक बनावट किसी भी दुसरे व्यक्ति से भिन्न होती है |ग्रह स्थितियां भले सामन हो जाएँ पर जीवन में घटनाएँ समान इसीलिए नहीं होती ,क्योकि ईश्वर ने सबको अलग बनाया है |इस कारण सबके सोचने-समझने की शक्ति ,कर्म की क्षमता स्थिति ,परिस्थितियां ,माहौल सब भिन्न होते हैं ,ऐसे में किसी भी दुसरे की सलाह किसी के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त नहीं हो सकती |हर व्यक्ति का अलग चक्र क्रियाशील होता है ,हर चक्र से निकालने वाली तरंगे अलग मात्रा में उत्पन्न होती हैं ,रासायनिक संरचना और स्राव भिन्न होता है ,अतः सबकुछ भिन्न हो जाता है |ऐसे में उसका खुद का विश्लेषण और खुद का खुद को सुझाव ही अधिक उपयुक्त होता है |खुद में स्थित ईश्वर अधिक उपयोगी होता है |इसलिए आपको खुद की सुनानी चाहिए और इस प्रयोग को जरुर करना चाहिए |यद्यपि यह प्रयोग आपको थोडा स्वार्थी बनाता है |समाज -लोगों से बेवजह की संलिप्तता कम करता है |बेवजह अथवा हानिकारक लोभ-मोह-भावना से दूर करता है |पर यह सब कुछ यह आपकी उन्नति -प्रगति सफलता के लिए करता है |इसलिए यदि थोडा सा स्वार्थी होने से ढेर सा लाभ मिलता है तो कोई बुराई नहीं |दूसरों के लिए जीना थोडा कम करके खुद के लिए ढेर सा मिले तो कोई बुराई नहीं |[प्रस्तुत विचार अलौकिक शक्तियां पेज के लिए प्रस्तुत ]
इन सबके लिए आपको करना केवल इतना मात्र है की आप अपने दिन भर के कार्यों से निवृत्त होकर जब सोने के लिए अपने बिस्तर पर जाएँ तो बिस्तर पर पड़े-पड़े अपनी कल्पनाओं को नियंत्रित करें और याद करें की आप कितने बजे सुबह उठे थे |सुबह उठकर आपने क्या-क्या किया था ,कौन कौन से काम किये थे ,किससे किससे क्या क्या बातें की थी |इनमे से आपको क्या करना चाहिए था क्या नहीं करना चाहिए था |क्या बोलना चाहिए था ,क्या नहीं बोलना चाहिए था |कैसा व्यवहार करना चाहिए था ,कैसा नहीं करना चाहिए था |एक बात यहाँ गंभीरता से ध्यान दें की आप अपने दिल की आवाज और भावना को बिलकुल एक तरफ रख दें अन्यथा आपके निर्णय गलत हो सकते हैं |आप केवल अपने अंतर्मन और बुद्धि की आवाज ही सुनें |अंत में आप एक बात बहुत गंभीरता से सोचें की आपके सुबह के समस्त क्रिया कलाप ,बातचीत में कितना आपके लिए भविष्य की दृष्टि से फायदेमंद था ,कितना नुकसानदेय था |सुबह के समय में से कितना समय आपने भविष्य की दृष्टि से सदुपयोग किया और कितना समय का दुरुपयोग हो गया |आपके कार्यों में से कितना आपके काम भविष्य में आएगा और क्या नहीं आएगा |इनमे से किस्मे आपको सुधार करना चाहिए की वह आपके लिए भविष्य में फायदेमंद हो सके |
आप सोचें की क्या परिवर्तन किया जाना चाहिए की वह भविष्य के लिए लाभदायक हो सके |कैसा व्यवहार करना चाहिए था की परिवार -बच्चों -लोगों पर आपका अच्छा प्रभाव पड़ता ,किस व्यवहार का क्या प्रभाव भविष्य में आएगा ,कैसा व्यवहार हमारे परिवार को किस और ले जाएगा |हमारे निर्णयों में क्या -क्या गलतियाँ हो गयी जो नहीं होनी चाहिए थी अथवा जिनसे हमें बचना चाहिए था अथवा जिनसे हमें नुकसान हो सकता है |किस व्यक्ति से कैसे और क्या बात करनी चाहिए थी ,क्या नहीं करना चाहिए था |क्या जो हमने किया वह पूरी तरह उचित था या कुछ अनुचित हो गया |इस समय आप पूरी तरह स्वार्थी रहें और केवल खुद का और भविष्य की दृष्टि से स्वार्थ देखें |सारे विश्लेषण केवल बुद्धि और अंतर्मन से करे |समस्त विश्लेषण आप तटस्थ होकर करें |करें कुछ नहीं केवल विश्लेषण करें |फिर आप क्रमशः अपने दिन भर के कार्यों और अंततः रात्री के सोने के समय तक का विश्लेषण करें शांत -निर्लिप्त भाव से |फिर केवल एक निश्चय करें कल से आप कोशिश करेंगे की गलतियाँ कम हों |ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देंगे जो की भविष्य के लिए लाभदायक हों |आपकी दृष्टि भविष्य को देखते हुए लाभ और हानि पर अधिक होनी चाहिए |फिर आप सो जाएँ |
उपरोक्त क्रिया आप लगातार बिना नागा रोज महीने भर करें |केवल १० मिनट खुद का विश्लेषण करें |१० मिनट से अधिक इसमें नहीं लगेगा |यह आपका आत्मनिरीक्षण है |यह वह उपलब्धियां दे सकता है जो कोई नहीं दे सकता |२४ घंटे के विभिन्न प्रपंचों में से केवल १० मिनट उनके विश्लेषण पर खर्च करें |निश्चित मानिए जीवन बदल जाएगा |अपने बच्चों -परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करें ,समझाएं |एक ऐसे परिवार और सदस्यों का निर्माण होने लगेगा जिनमे बहुत कम कमियां होंगी |जिनके हर कार्य सुलझे और सोचे-समझे होंगे |जो आदर्श बनने लगेंगे |आप खुद आदर्श होंगे और आपका परिवार भी आदर्श होगा |आपको आपके भाग्य का पूर्ण फल मिलेगा ,क्योकि गलतियों की सम्भावना बहुत कम हो जायेगी |सोच-कर्म-व्यवहार सब बदल जाएगा |आप कह सकते हैं की यह सब तो हम जानते ही हैं इनमे कौन सी ख़ास बात है |पर फिर भी आप आप इसे करके देखें |आप परिणाम से खुद आश्चर्यचकित रह जायेंगे |आपका ईश्वर जो आपके अन्दर है वह आपको रास्ता दिखाता है ,उन्नति के राह बताता है ,गलतियाँ बताता है ,आप उसकी सुनिए तो सही ,सुनकर देखिये तो सही |================
भाग्य बदलना तो बिरले द्वारा ही सम्भव है जब व्यक्ति में यह क्षमता आ जाए की वह प्रकृति को भी प्रभावित कर सके किन्तु भाग्य में इतना परिवर्तन की भाग्य का लिखा पूरा मिल सके थोड़े से प्रयास से सम्भव है और वह भी बिन किसी पूजा -पाठ के |यद्यपि ऐसा कम ही होता है की व्यक्ति पर किसी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव न हो किन्तु यदि व्यक्ति पर और उसके घर पर नकारात्मक ऊर्जा अथवा शक्तियों का प्रभाव न हो तो उसके भाग्य का पूरा फल प्राप्त किया जा सकता है खुद को प्रकृति के अनुकूल बनाकर |अक्सर व्यक्ति भौतिक दुन्याँ में जीते हुए अपनी मूल प्रकृति से दूर हो जाता है और उस पर वातावरण ,घर -परिवार के लोगों और मिलने -जुलने वालों का प्रभाव आ जाता है |जीवन के मिले सलाह उसे उसके मूल विचार से अलग कर देते हैं जिससे उसका अवचेतन दब जाता है |अवचेतन की सक्रियता कम हो जाती है और ऐसे ऐसे विचार ,सोच वहां भर जाते हैं जो व्यक्ति को मूल स्वरुप से अलग लेकर चले जाते हैं तथा व्यक्ति स्वाभाविक उन्नति नहीं कर पाता |वह अवसरों का लाभ उतना भी नहीं ले पाता जितनी उसकी क्षमता है |वह ऐसी कमियों से घिर जाता है जो उसकी स्वाभाविक प्रकृति नहीं होती |वह ऐसी गलतियाँ करता है जो वह करना नहीं चाहता |इन सब को थोड़े से प्रयास से सुधारा जा सकता है |बिन किसी पूजा -पाठ के अपने भाग्य का अधिकतम पाया जा सकता है |खुद को श्रेष्ठ और उच्च स्तर का व्यक्ति बनाया जा सकता है |
अपने दिनभर के २४ घंटे के समय में से केवल १० मिनट अगर हम एकाग्र होकर खुद को दे दें तो हमारा जीवन बदल सकता है |सकारात्मकता का ऐसा संचार हो सकता है सोच-कर्म-ले सब कुछ बदलने लगता है |इस छोटे और मामूली प्रयोग से सर्वाधिक लाभ विद्यार्थियों ,कर्मचारियों, व्यवसाइयों ,प्रतियोगी परीक्षा देने वालों ,महिलाओं ,दुर्व्यसनो में लिप्त लोगों ,दुर्व्यवहार गलती से करने वालों को होता है |लाभ सभी को होता है और परिवर्तन सभी के जीवन में निश्चित रूप से आता है |
इस प्रयोग के लिए किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं है |किसी पूजा-पाठ-अनुष्ठान की जरुरत नहीं है ,कहीं कोई पैसा खर्च करने या मूल्य चुकाने की जरुरत नहीं है |यहाँ तक की दिन के कार्य अवधि और व्यस्तता के एक मिनट भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं है |बिना समय खर्च किये ,बिना पूजा -पाठ -अनुष्ठान किये ,बिना एक भी पैसा खर्च किये यह प्रयोग आपका जीवन बदलकर रख देता है |आपके परिवार और घर का माहौल बदल देता है |आपको और सबको उन्नति के ऐसे पथ की और अग्रसर करता है की कभी अवनति नहीं होती ,असफलता नहीं मिलती ,ठहराव नहीं आता ,परिस्थितियों पर पूर्ण नियंत्रण हो जाता है ,क्षेत्र आपका चाहे कोई भी हो |
इस मामूली परन्तु जीवन परिवर्तित कर देने वाले प्रयोग में समय मात्र १० मिनट ही देना है |देखने में मामूली सा प्रयोग है ,जिसके बारे में जानकार आप कह उठेंगे अरे यह तो हमें पता ही है |किन्तु फिर भी आपने इसे समयबद्ध होकर कभी किया नहीं है |मजाक समझते रहे |किन्तु आपका जाना हुआ ही यह प्रयोग वह कर सकता है जो कोई पंडित ,ज्योतिषी ,तांत्रिक ,योगी ,सन्यासी ,सिद्ध ,मंदिर ,मस्जिद पूजा-अनुष्ठान नहीं कर सकता |यह आपका अपना आत्मनिरीक्षण है |यह आपके अन्दर स्थित ईश्वर की आवाज है ,जिसे आप सुनना नहीं चाहते दिल -भावनाओं -व्यसनों के वशीभूत होकर |यह ईश्वरीय ऊर्जा से उत्पन्न तरंगों से बने हुए मानसिक विचारों की आवाज है |यह आपके अंतर्मन की आवाज है |आपके अंतर्मन और मष्तिष्क का विश्लेषण है |क्योकि यह ईश्वरीय विश्लेषण है इसलिए कभी गलत हो ही नहीं सकता |इसकी सलाह मान लें तो आप पुरुष से महापुरुष हो सकते हैं |यह आपकी खुद की बुद्धि की आवाज है |इसे अंतर्मन के ईश्वर से मिलाकर केवल आपको सुनना है बस ,सब कुछ खुद ब खुद होने लगेगा |आपको करना भी कुछ नहीं है |केवल एक निश्चय करना है की आप अपने अन्दर स्थित ईश्वर की सलाह मानेंगे बस |
हर व्यक्ति की ऊर्जा संरचना और मानसिक बनावट किसी भी दुसरे व्यक्ति से भिन्न होती है |ग्रह स्थितियां भले सामन हो जाएँ पर जीवन में घटनाएँ समान इसीलिए नहीं होती ,क्योकि ईश्वर ने सबको अलग बनाया है |इस कारण सबके सोचने-समझने की शक्ति ,कर्म की क्षमता स्थिति ,परिस्थितियां ,माहौल सब भिन्न होते हैं ,ऐसे में किसी भी दुसरे की सलाह किसी के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त नहीं हो सकती |हर व्यक्ति का अलग चक्र क्रियाशील होता है ,हर चक्र से निकालने वाली तरंगे अलग मात्रा में उत्पन्न होती हैं ,रासायनिक संरचना और स्राव भिन्न होता है ,अतः सबकुछ भिन्न हो जाता है |ऐसे में उसका खुद का विश्लेषण और खुद का खुद को सुझाव ही अधिक उपयुक्त होता है |खुद में स्थित ईश्वर अधिक उपयोगी होता है |इसलिए आपको खुद की सुनानी चाहिए और इस प्रयोग को जरुर करना चाहिए |यद्यपि यह प्रयोग आपको थोडा स्वार्थी बनाता है |समाज -लोगों से बेवजह की संलिप्तता कम करता है |बेवजह अथवा हानिकारक लोभ-मोह-भावना से दूर करता है |पर यह सब कुछ यह आपकी उन्नति -प्रगति सफलता के लिए करता है |इसलिए यदि थोडा सा स्वार्थी होने से ढेर सा लाभ मिलता है तो कोई बुराई नहीं |दूसरों के लिए जीना थोडा कम करके खुद के लिए ढेर सा मिले तो कोई बुराई नहीं |[प्रस्तुत विचार अलौकिक शक्तियां पेज के लिए प्रस्तुत ]
इन सबके लिए आपको करना केवल इतना मात्र है की आप अपने दिन भर के कार्यों से निवृत्त होकर जब सोने के लिए अपने बिस्तर पर जाएँ तो बिस्तर पर पड़े-पड़े अपनी कल्पनाओं को नियंत्रित करें और याद करें की आप कितने बजे सुबह उठे थे |सुबह उठकर आपने क्या-क्या किया था ,कौन कौन से काम किये थे ,किससे किससे क्या क्या बातें की थी |इनमे से आपको क्या करना चाहिए था क्या नहीं करना चाहिए था |क्या बोलना चाहिए था ,क्या नहीं बोलना चाहिए था |कैसा व्यवहार करना चाहिए था ,कैसा नहीं करना चाहिए था |एक बात यहाँ गंभीरता से ध्यान दें की आप अपने दिल की आवाज और भावना को बिलकुल एक तरफ रख दें अन्यथा आपके निर्णय गलत हो सकते हैं |आप केवल अपने अंतर्मन और बुद्धि की आवाज ही सुनें |अंत में आप एक बात बहुत गंभीरता से सोचें की आपके सुबह के समस्त क्रिया कलाप ,बातचीत में कितना आपके लिए भविष्य की दृष्टि से फायदेमंद था ,कितना नुकसानदेय था |सुबह के समय में से कितना समय आपने भविष्य की दृष्टि से सदुपयोग किया और कितना समय का दुरुपयोग हो गया |आपके कार्यों में से कितना आपके काम भविष्य में आएगा और क्या नहीं आएगा |इनमे से किस्मे आपको सुधार करना चाहिए की वह आपके लिए भविष्य में फायदेमंद हो सके |
आप सोचें की क्या परिवर्तन किया जाना चाहिए की वह भविष्य के लिए लाभदायक हो सके |कैसा व्यवहार करना चाहिए था की परिवार -बच्चों -लोगों पर आपका अच्छा प्रभाव पड़ता ,किस व्यवहार का क्या प्रभाव भविष्य में आएगा ,कैसा व्यवहार हमारे परिवार को किस और ले जाएगा |हमारे निर्णयों में क्या -क्या गलतियाँ हो गयी जो नहीं होनी चाहिए थी अथवा जिनसे हमें बचना चाहिए था अथवा जिनसे हमें नुकसान हो सकता है |किस व्यक्ति से कैसे और क्या बात करनी चाहिए थी ,क्या नहीं करना चाहिए था |क्या जो हमने किया वह पूरी तरह उचित था या कुछ अनुचित हो गया |इस समय आप पूरी तरह स्वार्थी रहें और केवल खुद का और भविष्य की दृष्टि से स्वार्थ देखें |सारे विश्लेषण केवल बुद्धि और अंतर्मन से करे |समस्त विश्लेषण आप तटस्थ होकर करें |करें कुछ नहीं केवल विश्लेषण करें |फिर आप क्रमशः अपने दिन भर के कार्यों और अंततः रात्री के सोने के समय तक का विश्लेषण करें शांत -निर्लिप्त भाव से |फिर केवल एक निश्चय करें कल से आप कोशिश करेंगे की गलतियाँ कम हों |ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देंगे जो की भविष्य के लिए लाभदायक हों |आपकी दृष्टि भविष्य को देखते हुए लाभ और हानि पर अधिक होनी चाहिए |फिर आप सो जाएँ |
उपरोक्त क्रिया आप लगातार बिना नागा रोज महीने भर करें |केवल १० मिनट खुद का विश्लेषण करें |१० मिनट से अधिक इसमें नहीं लगेगा |यह आपका आत्मनिरीक्षण है |यह वह उपलब्धियां दे सकता है जो कोई नहीं दे सकता |२४ घंटे के विभिन्न प्रपंचों में से केवल १० मिनट उनके विश्लेषण पर खर्च करें |निश्चित मानिए जीवन बदल जाएगा |अपने बच्चों -परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करें ,समझाएं |एक ऐसे परिवार और सदस्यों का निर्माण होने लगेगा जिनमे बहुत कम कमियां होंगी |जिनके हर कार्य सुलझे और सोचे-समझे होंगे |जो आदर्श बनने लगेंगे |आप खुद आदर्श होंगे और आपका परिवार भी आदर्श होगा |आपको आपके भाग्य का पूर्ण फल मिलेगा ,क्योकि गलतियों की सम्भावना बहुत कम हो जायेगी |सोच-कर्म-व्यवहार सब बदल जाएगा |आप कह सकते हैं की यह सब तो हम जानते ही हैं इनमे कौन सी ख़ास बात है |पर फिर भी आप आप इसे करके देखें |आप परिणाम से खुद आश्चर्यचकित रह जायेंगे |आपका ईश्वर जो आपके अन्दर है वह आपको रास्ता दिखाता है ,उन्नति के राह बताता है ,गलतियाँ बताता है ,आप उसकी सुनिए तो सही ,सुनकर देखिये तो सही |
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